Naitik Kahaniya Hindi धनी मनुष्य और नौकर की कहानी - Dhani Manushya aur Naukar ki kahani - Short Story with moral
New Kahaniya धनी मनुष्य और नौकर की कहानी - dhani manushya aur naukar ki kahani - hindi short story with moral
ये कहानी है एक धनी मनुष्य और उसके नौकर की | धनी मनुष्य के पास नौकर चाकर और सुख सुविधाओं की कोई कमी नहीं होती लेकिन ऐसा क्या होता है जिससे, उस धनी मनुष्य, उसका धन, उसके नौकर कुछ नहीं कर पा रहे थे और कैसे एक साधू महाराज ने उस धनी मनुष्य का जीवन बदल दिया, जानने के लिए पूरी कहानी ध्यान से पढ़िए और कमेंट कर के बताइये कि आपको ये कहानी कैसी लगी
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एक गाँव में एक धनी मनुष्य रहता था | उसके पास पैसों की कोई कमी नही थी परन्तु वह बहुत ज़्यादा आलस करता था | अपने सारे काम नौकरों से ही कराता था एवं खुद पूरे दिन सोता रहता था अययाशी करता था
वह धीरे-धीरे बिल्कुल निकम्मा हो गया था | उसे ऐसा लगता था जैसे मैं सबका स्वामी हूँ क्यूंकि मेरे पास बहुत धन है मैं तो कुछ भी खरीद सकता हूँ | यही सोचकर वह दिन रात सोता रहता था |
लेकिन कहा जाता है कि बुरी सोच का बुरा नतीज़ा होता है | बस यही उस व्यक्ति के साथ हुआ | कुछ सालों बाद उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसका शरीर पहले से शिथिल होता जा रहा है और उसे हाथ पैर हिलाने में भी तकलीफ़ होने लगी
यह देखकर वह धनी मनुष्य बहुत परेशान हुआ | उसके पास बहुत पैसा था उसने शहर से बड़े बड़े डॉक्टर को बुलाया और खूब पैसा खर्च किया लेकिन उसका शरीर ठीक नहीं हो पाया | वह धनी मनुष्य बहुत दुखी रहने लगा |
एक बार उसी गाँव से एक साधू महाराज गुजर रहे थे, उन्होने उस धनी मनुष्य की बीमारी के बारे मे सुना | सो उन्होनें धनी मनुष्य के नौकर से कहा कि वह उसकी बीमारी का इलाज़ कर सकते हैं | यह सुनकर नौकर उस धनी मनुष्य के पास गया और साधू महाराज के बारे में सब कुछ बताया | अब सेठ ने तुरंत साधू महाराज को अपने यहाँ बुलवाया लेकिन साधू महाराज ने कहा क़ि वह उस धनी मनुष्य के पास नहीं आएँगे अगर उस धनी मनुष्य को ठीक होना है तो उसे स्वयं यहाँ चलकर आना पड़ेगा, और अपने धनी होने के घमंड को हटाना पड़ेगा, अगर धन से ठीक हो जाये तो मेरे पास आने कि क्या जरूरत, पैसा अगर सब कुछ ठीक कर देता तो दुनिया के धनी से धनी देश को-रोना जैसी महामारी से नहीं जूझ रहे होते |
वह धनी मनुष्य बहुत ज्यादा परेशान हो गया क्यूंकि वो असहाय था और चल फिर भी नहीं पाता था, और उसके पास कोई उपाय भी नहीं था धन का सारा जोर तो वो पहले से ही लगा चुका था | लेकिन जब साधू महाराज आने को तैयार नहीं हुए तो हिम्मत करके बड़ी मुश्किल से वह धनी मनुष्य साधू महाराज से मिलने पहुचा | पर साधू महाराज वहाँ थे ही नहीं | वह धनी मनुष्य दुखी मन से वापिस आ गया अब तो रोजाना का यही नियम हो गया, साधू महाराज रोज उसे बुलाते लेकिन जब वह धनी मनुष्य आता तो कोई मिलता ही नहीं था | ऐसे करते करते 3 महीने गुजर गये | अब उस धनी मनुष्य को लगने लगा जैसे वह ठीक होता जा रहा है उसके हाथ पैर धीरे धीरे काम करने लगे हैं | अब उस धनी मनुष्य की समझ में सारी बात आ गयी कि साधू महाराज रोज उससे क्यूँ नहीं मिलते थे | लगातार 3 महीने चलने से उसका शरीर काफ़ी ठीक हो गया था |
तब साधू महाराज ने उस धनी मनुष्य को बताया कि बेटा जीवन में चाहे कितना भी धन कमा लो लेकिन स्वस्थ शरीर से बड़ा कोई धन नहीं होता |
Moral
तो दोस्तो, यही बात हमारे दैनिक जीवन पर भी लागू होती है पैसा कितना भी कमा लो लेकिन स्वस्थ शरीर से बढ़कर कोई धन नहीं होती, तभी तो कहा गया है " स्वास्थ ही पूँजी है " और शास्त्रों में भी कहा गया है कि "पहला सुख निरोगी काया"
दोस्तो हमें पैसा कमाने के साथ अपने स्वास्थ पर भी ध्यान देना चाहिए, कोई भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए |
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Very nice
ReplyDeleteThank you so much for your feedback on Dhani Manushya aur Naukar ki kahani
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