MSP Full Form in Hindi | What is msp in Agriculture
3 New Agriculture Reforms Bill Law 2020 India MSP | APMP | कृषि सुधार बिल in Hindi
भारत एक कृषि प्रधान देश है, देश की 70 % से अधिक जनता कृषि पर निर्भर है, कोई छोटा से छोटा उत्पाद हो उसकी कीमत उत्पादक तय करता है लेकिन कृषि उत्पादों के मामले में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?
एक किसान दिन रात मेहनत कर के 3-4 महीने में जो कुछ भी उत्पादन करता है उसको बाजार तक नहीं मिलता अगर बाजार मिलता भी है तो उसको बहुत कम कीमत मिलती है और उसको निराशा ही हाथ लगती है.
वर्षों तक जैसे साहूकारों जमींदारों ने शोषण किया आज भी ऐसी व्यवस्था नहीं है कि किसान अपने उत्पादों की कीमत तय कर सके, कृषि क्षेत्र में तो क्रान्तिकारी और किसान हितैषी कानून बनने चाहिए लेकिन न पहले कोई सुनता था न अब.
किसी भी पारस्थितिकी तंत्र में सबसे महत्वूर्ण इकाई प्राथमिक उत्पादक होते हैं, किसान हमारे समाज, हमारे देश के प्राथमिक उत्पादक हैं, अगर आगे बढ़ना है तो हमारे प्राथमिक उत्पादक और हमारी रीढ़ को अत्यधिक मजबूत करना पड़ेगा
MSP Full Form | What is a msp
MSP Full Form- Minimum Supporting Price
Full Form MSP in Hindi - न्यूनतम समर्थन मूल्य
What is a msp?
MSP का अर्थ न्यूनतम समर्थन मूल्य है। और, इसे लागू करते है Commission for Agricultural Costs & Prices (CACP) तथा, यह आयोग Food Corporation of India (FCI) के दायरे में आता है। जिस पर सरकार किसानों द्वारा बेचे जाने वाले, अनाज की पूरी मात्रा क्रय करने के लिये तैयार रहती है। यदि बाज़ार में कृषि उत्पादों का मूल्य गिर गया हो, तब भी सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही, कृषि उत्पादों को क्रय करके उनके हितों की रक्षा करती है।
इस लेख में समझते हैं कि 3 नए कानून क्या हैं और क्यों इनका विरोध हो रहा है, क्या ये किसान हितैषी हैं या शोषण की तरफ धकेलने का प्रयास, MSP क्या है, क्या Supply Demand वाला फार्मूला इस पर काम नहीं करेगा ?
किसान की फसल तो 3 महीने में एक बार आएगी और उसको उसका उचित मूल्य चाहिए लेकिन नई व्यवस्था उचित मूल्य दे पायेगी, अगर बेचने वाले अधिक और खरीदने वाले कम होंगे तो सप्लाई डिमांड के फार्मूले के अनुसार बेचने वाले को ही नुकसान होता है, और अगर खरीददारों की मोनोपोली हो गयी तो किसान का क्या होगा?
इतने भारी विरोध के बाद लोग बीच के रास्ते की बात करते हैं, एक ऐसा रास्ता निकलना चाहिए जिससे किसान अपने उत्पाद की एक कीमत तय कर सके और MSP की जगह MRP की व्यवस्था एक किसान के उत्पाद के लिए क्यों नहीं होनी चाहिए, और चाहे सरकार ही क्यों न हो MRP से कम दाम को कालाबाजारी की श्रेणी में रखना चाहिए या नहीं रखना चाहिए अगर सुधार ही करना है तो क्रान्तिकारी सुधार हो, शोषण की तरफ न धकेला जाए,
# | Bill-1 Essential Commodities Bill inside Agricultural Reform Bill 2020 | Bill-2 The Farmer’s (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Bill | Bill-3 Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill, 2020 |
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1 | इस बिल में आवश्यक सामान की सूची से, अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज, और आलू, जैसी, वस्तुओं को हटाने का प्रयास किया गया है |
इस विधेयक में कृषि समझौतों पर एक राष्ट्रीय ढांचा, प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। | सरकार के अनुसार एक नया पारिस्थितिक तंत्र प्रदान करने का प्रयास है। जिसमें किसान और व्यापारी अपनी उपज की बिक्री, और, खरीद से संबंधित अपनी फ़सल को बेचने की आज़ादी होगी। |
2 | ताकि इस बिल/विधेयक के प्रावधानों से किसानों को सही मूल्य मिल सके। | और, यह विधेयक कृषि उत्पादों की बिक्री, कृषि व्यवसाय फर्मों, प्रोसेसर, थोक व्यापारी, बड़े खुदरा व्यापारी और निर्यातकर्त्ता के साथ, किसानों को बचाने तथा उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से किया गया प्रयास है। | इसके साथ इस व्यवस्था को कुशलतापूर्वक पारदर्शिता और बाधा मुक्त अंतर को बढ़ावा देने के लिए, प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक ट्रेडिंग चैनलों के माध्यम से, पारिश्रमिक कीमतों की सुविधा प्रदान की जायेगी। |
3 | और, ऐसा होने पर बाज़ार में प्रतियोगिता बढ़ने की संभावना होगी। | और, यह कदम इसीलिए लिया गया है, ताकि कृषि सेवाओं और भविष्य में होने वाली, खेती की बिक्री को एक तरीके से उचित, और पारदर्शी तरीके से तैयार किया जा सके, तथा लक्षित मूल्य निर्धारण के रूप में लक्षित किया जा सके। | और, इसके साथ इस प्रावधानों में राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच, व्यापार को बढ़ावा देने की बात भी कही गई है, जहाँ Marketing और Transportation पर ख़र्च कम करने की बात कही गई है। |
What are MSP and APMC in Hindi
# | MSP- Minimum Supporting Price न्यूनतम समर्थन मूल्य | APMC- Agricultural Produce Market Committee कृषि उपज मंडी समिति |
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1 | MSP का अर्थ न्यूनतम समर्थन मूल्य है। और, इसे लागू करते है Commission for Agricultural Costs & Prices (CACP) तथा, यह आयोग Food Corporation of India (FCI) के दायरे में आता है। | APMC क्या अर्थ है कृषि उपज मंडी समिति, देखा जाये तो भारत के आजादी के बाद, गांवों की संपूर्ण वितरण प्रणाली को व्यापारी या साहूकार नियंत्रित करते थे, जिससे किसानों को बहुत कम लाभ होता था। |
2 | जिस पर सरकार किसानों द्वारा बेचे जाने वाले, अनाज की पूरी मात्रा क्रय करने के लिये तैयार रहती है। | और, इसी समस्या के समाधान के लिए, तथा कृषकों को लाभ पहुँचाने के लिए, राज्य सरकारों ने कृषि बाजार को स्थापित किया था। जिसके लिए APMC अधिनियमों को लागू किया गया था। |
3 | यदि बाज़ार में कृषि उत्पादों का मूल्य गिर गया हो, तब भी सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही, कृषि उत्पादों को क्रय करके उनके हितों की रक्षा करती है। | ताकि, इस अधिनियम के द्वारा किसानों को, बड़े और खुदरा विक्रेताओं के शोषण से बचाया जा सके, जिससे किसान कर्ज के जाल में न फंसे, और इसके साथ यह भी सुनिश्चित किया गया था कि, खेत से लेकर retail price तक मूल्य उच्च स्तर तक न पहुँचे। |
Why farmers are protesting against the Agriculture Reform Bill 2020
कृषि सुधार बिल के लिए, देश भर में काफी विरोध हो रहे है।
क्योंकि किसान और व्यापारियों को इससे APMC मंडियों के ,
समाप्त होने की आशंका हो रही है।
और, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) bill 2020 में कहा गया है कि,
किसान अब APMC मंडियों के बाहर किसी को भी अपनी उपज बेच सकता है,
जिस पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
जबकि, APMC मंडियों में कृषि उत्पादों की खरीद पर,
विभिन्न राज्यों में अलग-अलग मंडी शुल्क व अन्य शुल्क हैं।
और, वही पंजाब और हरियाणा में MSP पर गेहूं और धान की सरकारी खरीद की जाती है,
इसीलिए, किसानों को डर है कि नये कानून के बाद MSP पर खरीद नहीं होगी,
क्योंकि bill में इस संबंध में कोई सफ़ाई नहीं दी गयी है कि,
मंडी के बाहर जो खरीद होगी वह MSP से नीचे के खरीद पर आधारित नहीं होगी।
Why there is a protest for the Agriculture reform bill 2020
- कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का इस कृषि सुधार बिल के बारे में यह कहना है कि,
- जब मंडी के बाहर बिना शुल्क का कारोबार होगा तो,
- फिर मंडी में कोई शुल्क देना क्यों चाहेगा।
- और, पंजाब एवं हरियाणा में APMC मंडियों की ,
- अच्छी भूमिकारूप व्यवस्था (Infrastructure) है,
- तथा, वहा MSP पर गेहूं और धान की खरीद ज्यादा होती है।
- इसीलिए, 2019-2020 के दौरान रबी फशल की मौसम काल में,
- केंद्र द्वारा करीब 340 लाख मिट्रिक टन गेहूँ ख़रीदा गया था,
- जिसमे से 130 लाख मिट्रिक टन गेहूँ की आपूर्ति पंजाब ने की थी।
- और, पंजाब में मंडियों और खरीद केंद्रों की संख्या करीब 1,843 हैं।
- और, ऐसी मंडी व्यवस्था दूसरी जगह नहीं है।
- इसीलिए सभी विरोधी दल का यह कहना है कि,
- इस bill से किसानों, आढ़तियों, व्यापारियों और मंडी में,
- काम करने वाले मजदूरों से लेकर खेतिहर मजदूरों को नुकसान होगा।
- और, पंजाब अनाज उत्पादन के मामले में देश के लिए आत्मनिर्भर है।
- तथा, पंजाब में पूरी दुनिया में सबसे अच्छी मंडी व्यवस्था है।
- और, इस bill के आने से MSP और APMC समाप्त हो जायेगा।
- इसीलिए, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री,
- हरसिमरत कौर बादल ने इस bill के विरोध में,
- अपना, इस्तीफा मंत्री पद से दे दिया है।
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